صحيفة المثقف

الجسد العاري

جمعة عبد اللهللشاعر اليوناني: يانس ريتسوس

ترجة: جمعة عبد الله

اهداء الى الصديقين العزيزين

عامر السامرائي  وحسين السوداني


 

قال :

أنا انتخب الازرق

 وأنا أحمر

كذلك

جمال جسمكِ الهائل بلا حدود

هائل في فتنته

ضاع امتداده في  الليل

وانكمشت روحكِ

كلما تبتعدين

تقتربين أكثر مني

نجمة أحرقت بيتي

وأطبقت الليالي بخناقها 

وأنا اتنفس بكِ

لساني في فمكِ

ولسانكِ في فمي

غابة مظلمة

حطمها حطّاب

وغابت عنها الطيور

أينما تكونين أكن 

شفتاي تدور حول  أذينيكِ وتهمس

أنه صغير وأليف يتسع لكل موسيقى العالم

في الاشتهاه

بعيداً عن  الولادة

 بعيداً عن الموت

يكون العالم حاضراً

 ماذا يعنيني من العالم

ليتحطم في ليالٍ قليلة

اذا لم تكوني  أنتِ حاضرة فيهِ 

ألتمس اصابعكِ , قدميكِ

ونتوحد روحياً

والآن

تنفسكِ  ينضم دقات نبضاتي

شهران  لم نلتق . كأنه قرن  مر في تسع ثوانٍ

ماذا أفعل يا نجمتي وانتِ غائبة

دمنا الأحمر ..... أنا وانتِ

 وأنا ملكاً لكِ

***

 

النص باللغة اليونانية

Γυμνο σωμα

 

Εἶπε:

ψηφίζω τὸ γαλάζιο.

Ἐγὼ τὸ κόκκινο.

Κι ἐγώ.

Τὸ σῶμα σου ὡραῖο

Τὸ σῶμα σου ἀπέραντο.

Χάθηκα στὸ ἀπέραντο.

Διαστολὴ τῆς νύχτας.

Διαστολὴ τοῦ σώματος.

Συστολὴ τῆς ψυχῆς.

Ὅσο ἀπομακρύνεσαι

Σὲ πλησιάζω.

Ἕνα ἄστρο

ἔκαψε τὸ σπίτι μου.

Οἱ νύχτες μὲ στενεύουν

στὴν ἀπουσία σου.

Σὲ ἀναπνέω.

Ἡ γλῶσσα μου στὸ στόμα σου

ἡ γλῶσσα σου στὸ στόμα μου-

σκοτεινὸ δάσος.

Οἱ ξυλοκόποι χάθηκαν

καὶ τὰ πουλιά.

Ὅπου βρίσκεσαι

ὑπάρχω.

Τὰ χείλη μου

περιτρέχουν τ᾿ ἀφτί σου.

Τόσο μικρὸ καὶ τρυφερὸ

πῶς χωράει

ὅλη τὴ μουσική;

Ἡδονή-

πέρα ἀπ᾿ τὴ γέννηση,

πέρα ἀπ᾿ τὸ θάνατο.

Τελικὸ κι αἰώνιο

παρόν.

Ἀγγίζω τὰ δάχτυλα

τῶν ποδιῶν σου.

Τί ἀναρίθμητος ὀ κόσμος.

Μέσα σε λίγες νύχτες

πῶς πλάθεται καὶ καταρρέει

ὅλος ὁ κόσμος;

Ἡ γλῶσσα ἐγγίζει

βαθύτερα ἀπ᾿ τὰ δάχτυλα.

Ἑνώνεται.

Τώρα

μὲ τὴ δική σου ἀναπνοὴ

ρυθμίζεται τὸ βῆμα μου

κι ὁ σφυγμός μου.

Δυὸ μῆνες ποὺ δὲ σμίξαμε.

Ἕνας αἰῶνας

κι ἐννιὰ δευτερόλεπτα.

Τί νὰ τὰ κάνω τ᾿ ἄστρα

ἀφοῦ λείπεις;

Μὲ τὸ κόκκινο τοῦ αἵματος

εἶμαι.

Εἶμαι γιὰ σένα.

 

 

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